युवा दिवस: क्रिकेटर ऋषि धवन बोले- नशे से दूर रहने के लिए खेल को बनाएं जीवन का हिस्सा
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर ऋषि धवन ने राष्ट्रीय युवा दिवस पर संदेश दिया कि हमेशा आउटडोर खेलों में ज्यादा हिस्सा लेना चाहिए। इससे वह नशे जैसी बुरी आदत से भी दूर रहेंगे और मन भी शांत रहेगा। जो व्यक्ति मन से ही हार जाता है वह कभी भी सफल नहीं होता।

नशे और तनाव से दूर रहने के लिए युवाओं को एक खेल जरूर अपनी जिंदगी में खेलना चाहिए। इस खेल को रोजाना एक से आधा घंटा जरूर देना चाहिए। यह संदेश युवा दिवस के मौके पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर ऋषि धवन ने दिया है। उन्होंने कहा कि हमेशा आउटडोर खेलों में ज्यादा हिस्सा लेना चाहिए।
इससे वह नशे जैसी बुरी आदत से भी दूर रहेंगे और मन भी शांत रहेगा। जो व्यक्ति मन से ही हार जाता है वह कभी भी सफल नहीं होता। इसलिए हर युवा को अपने मन पर नियंत्रण रखने की कला आनी चाहिए। युवाओं के लिए क्रिकेट, फुटबाल, बैडमिंटन, हॉकी जैसे खेल बहुत ही बेहतर हैं। इनमें अगर कोई युवा दिन में कुछ पल भी खेल लेता है तो उसका तनाव और थकान दूर हो जाती है। इसके साथ ही नशा करने की आदत भी दूर हो जाती है। ऋषि धवन मंडी जिले के रहने वाले हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी कप्तानी में हिमाचल को पहली बार विजय हजारे क्रिकेट ट्रॉफी दिलाई है।
सामाजिक क्षेत्र में भी सक्रिय
ऋषि धवन का कहना है कि हालांकि उनका पूरा फोकस एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय टीम में वापसी करने का है, लेकिन इसके साथ ही वह सामाजिक कार्यों में भी भूमिका निभाना चाहते हैं। वह मंडी रेडक्रॉस सोसायटी के ब्रांड एंबेसडर रह चुके हैं और इस दौरान कई जरूरतमंद लोगों के लिए कुछ करने का अवसर मिला।
राष्ट्रीय युवा दिवस: पिता का सपना पूरा करने के लिए लड़कों के साथ हिमाचल की रेणुका ठाकुर ने खेला क्रिकेट
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रोहड़ू पारसा गांव की रेणुका आज हिमाचल की हर बेटी के लिए प्रेरणा बन गई हैं। तीन साल की उम्र में रेणुका के पिता का देहांत हो गया, पिता चाहते थे कि उनकी बेटी और बेटा भारत के लिए क्रिकेट खेलें।

पिता का सपना पूरा करने के लिए गांव के मैदान में लड़कों के साथ क्रिकेट खेलने वाली हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रोहड़ू पारसा गांव की रेणुका आज हिमाचल की हर बेटी के लिए प्रेरणा बन गई हैं। तीन साल की उम्र में रेणुका के पिता का देहांत हो गया, पिता चाहते थे कि उनकी बेटी और बेटा भारत के लिए क्रिकेट खेलें। सिर से पिता का साया छिन जाने के बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी मां के कंधों पर आ गई। मां ने आईपीएच में चतुर्थ श्रेणी के पद पर सेवाएं देकर घर चलाने के साथ बेटी के क्रिकेट के जुनून को कम नहीं होने दिया।
गांव के मैदान में रेणुका लड़कों को खेलते हुए देखती थी। एक दिन उससे रहा नहीं गया और मैदान में पहुंच कर लड़कों से कहा कि वह भी क्रिकेट खेलेंगी। इसी बीच 2009 में एचपीसीए ने धर्मशाला में अकादमी शुरू की, तब रेणुका महज 14 साल की थी। अकादमी के लिए ट्रायल दिया और वह चुन ली गईं। यहीं से रेणुका का क्रिकेटर बनने का सपना साकार होना शुरू हुआ। नियमित अभ्यास और खेल में अच्छे प्रदर्शन के चलते 2019 में रेणुका का चयन भारतीय महिला की ए टीम के लिए हुआ। 2021 में रेणुका का चयन आस्ट्रेलिया दौरे के लिए भारत की सीनियर महिला टीम में हुआ।