हिमाचल: 20 फीसदी घट जाएगी ठोस यूरिया की सप्लाई, नैनो यूरिया को तरजीह
नैनो यूरिया की एक बोतल 500 मिलिलीटर की होती है और यह करीब 240 रुपये में बाजार में उपलब्ध है। इस पर सरकार को कोई सब्सिडी भी नहीं चुकानी पड़ेगी।

प्रदेश में आने वाले दिनों में ठोस यूरिया की सप्लाई 20 फीसदी कम हो जाएगी। साथ ही नैनो यूरिया के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा। इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफ्को) ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। वर्तमान में प्रदेश के लिए एक महीने में 45 किलो पैकिंग वाली ठोस यूरिया के दो रैक आते हैं।
यह रैक बरेली से भेजे जाते हैं। करीब 50 हजार बोरियों की खेप प्रदेश में वितरित होती है। अगले छह महीनों में यह खेप घटकर 40 हजार के आसपास रह जाएगी। बोरी वाली यूरिया की खेप घटाने के साथ किसानों को नैनो यूरिया के इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार ठोस यूरिया की एक बोरी के उत्पादन में चार हजार तक लागत आ रही है। अलग-अलग जिलों में किसानों को एक बोरी 263 से 275 रुपये के बीच मिल रही है। लागत के बाकी बचे करीब 3730 रुपये सरकार सब्सिडी के तौर पर खुद चुका रही है। ऐसे में हर महीने प्रदेश के लिए आने वाली 50 हजार बोरियों पर सरकार को लगभग 18.65 करोड़ की सब्सिडी चुकानी पड़ती है।
10 हजार बोरियां कम होने से सरकार पर 3.73 करोड़ सब्सिडी का बोझ कम होगा। इसी मकसद से नैनो यूरिया को बाजार में उतारा गया है। नैनो यूरिया की एक बोतल 500 मिलिलीटर की होती है और यह करीब 240 रुपये में बाजार में उपलब्ध है। इस पर सरकार को कोई सब्सिडी भी नहीं चुकानी पड़ेगी। इफ्को का दावा है कि नैनो यूरिया से फसलों का उत्पादन ठोस यूरिया के मुकाबले बेहतर है।
इफ्को ने नैनो यूरिया के इस्तेमाल के लिए किसानों को प्रेरित करना शुरू कर दिया है। हर जिले में जानकारी देने के लिए मोबाइल वाहन का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस दौरान नैनो यूरिया की बिक्री भी की जा रही है। प्रदेश के लिए अभी तक नैनो यूरिया की 53 हजार बोतलें आई हैं। डिमांड बढ़ने पर इसकी सप्लाई में तेजी आ सकती है।
इफ्को के क्षेत्र प्रबंधक भुवनेश पठानिया ने बताया कि अभी नैनो यूरिया के इस्तेमाल के लिए जागरूक किया जा रहा है। बोरी वाली यूरिया की खेप प्रति माह 20 फीसदी घटाने का फैसला लिया गया है। नैनो यूरिया की मांग बढ़ने पर ठोस यूरिया की सप्लाई और कम करने पर विचार किया जा सकता है। इफ्को के जिला बिक्री प्रबंधक मोहित शर्मा ने बताया कि इस समय ज्यादातर किसान बोरी वाली यूरिया को ही तरजीह दे रहे हैं। पहले के मुकाबले नैनो यूरिया की मांग भी बढ़ी है।