विधायक प्राथमिकता: योजनाओं को लेकर फिर एक अनार, सौ बीमार जैसे हालात
प्रदेश में विधानसभा हलकों के लोग अपनी-अपनी योजनाओं को संबंधित विधायकों से प्राथमिकताओं में डालने को दबाव बना रहे हैं। हर विधायक के लिए हर साल 12 योजनाओं को अपनी प्राथमिकताओं में डालने की सुविधा होती हैं। ऐसे में अब विधायकों के सामने एक अनार सौ बीमार की स्थिति पैदा हो गई है।

हिमाचल प्रदेश में विधायकों के सामने फिर एक अनार सौ बीमार की स्थिति पैदा हो गई है। प्रदेश में विधानसभा हलकों के लोग अपनी-अपनी योजनाओं को संबंधित विधायकों से प्राथमिकताओं में डालने को दबाव बना रहे हैं। हर विधायक के लिए हर साल 12 योजनाओं को अपनी प्राथमिकताओं में डालने की सुविधा होती हैं। इनमें दो नई स्कीमों में दो योजनाएं सड़कों-पुलों, दो पेयजल-सीवरेज और दो सिंचाई की डालनी होती हैं। चालू स्कीमों में भी इन्हीं मदों में दो-दो और योजनाएं डालनी होती हैं। इनका नाबार्ड से ग्रामीण आधारभूत ढांचा विकास कार्यक्रम (आरआईडीएफ) के तहत वित्तपोषण होता है। प्रदेश के सभी 68 विधानसभा हलकों के विधायक वास्तविक नई योजनाओं और चालू योजनाओं की प्राथमिकताएं प्रस्तुत करेंगे।
विधायकों से पूछेगी सरकार, कैसे घटाएं खर्चे और कैसे बढ़ाए आमदनी
इन बैठकों के दौरान ही सरकार विधायकों से पूछेगी कि कैसे खर्चे घटाए जाएं और आमदनी को कैसे बढ़ाया जाए। विधायकों से वर्ष 2022-23 के लिए मित्तव्ययता उपायों, वित्तीय संसाधन जुटाने और बेहतर प्रशासन के लिए सुझाव लिए जाएंगे। यह हर साल ही पूछा जाता है। https://www.amarujala.com/shimla/ek-anaar-sau-biimaar-situation-in-front-of-mlas-in-himachal-read-the-whole-matter
लोग नाराज न हों, इसलिए कॉलम खाली छोड़ रहे विधायक
विधायकों के लिए दो-दो योजनाओं को चुनना मुश्किल हो रहा है, इसलिए कई विधायक हर साल कॉलम खाली छोड़कर ही टोकन बजट डलवा देते हैं और चुपचाप योजनाएं बाद में डाल देते हैं, जबकि नियमानुसार उन्हें इन्हें पहले ही सार्वजनिक करना होता है और बजट बुक में छपवाना होता है।
विधायक प्राथमिकताओं के निर्धारण के लिए तिथियां बदलीं
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर की अध्यक्षता में वार्षिक बजट 2022-23 के लिए विधायक प्राथमिकताओं के निर्धारण के लिए विधायकों के साथ प्रस्तावित दो दिवसीय बैठकों में आंशिक परिवर्तन किया गया है। यह बैठकें अब 17 और 18 जनवरी में होंगी।