हिमाचल के इस शहर में रियासत काल में लोहड़ी की रात माफ था एक खून
पंकज सलारिया, अमर उजाला, चंबा
Updated Wed, 13 Jan 2021 10:56 AM IST
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मकर संक्रांति से एक दिन पहले 13 जनवरी की रात को सुराड़ा क्षेत्र के लोग राज मढ़ी की प्रतीक मशाल को हर मढ़ी में लेकर जाते हैं। पालकी साथ लेकर निकलने वाली टोलियों को 13 मढ़ियों में जाकर पालकी स्थापित करनी होती है। रास्ते में उन्हें रोकने वाली टोलियां भी तैनात रहती हैं। पूर्व में इस संघर्ष के दौरान हथियार का इस्तेमाल भी होता था। यहां तक कि इस संघर्ष में एक हत्या को राज परिवार की ओर से माफी दी जाती थी। आजादी के बाद से मढ़ियों के संघर्ष में हथियार के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई। वर्तमान में यह संघर्ष छीनाझपटी के तौर पर होती है, जिसमें कई लोग घायल हो जाते हैं। (संवाद)
नगर परिषद देती है विशेष राशि
नगर परिषद चंबा की ओर से 15 मढ़ियों को विशेष राशि भी दी जाती है। राजमढ़ी को दस हजार और बजीर मढ़ी को 6500 रुपये दिए जाते है। अन्य 13 मढ़ियों को दो-दो हजार रुपये की राशि दी जाती है। इससे लकड़ी इत्यादि की खरीद की जाती है।
पुलिस के पुख्ता बंदोबस्त : एसपी
पुलिस थाना सदर चंबा के प्रभारी शकीनी कपूर ने बताया कि लोहड़ी पर्व को लेकर लोगों में खासा उत्साह रहता है। पर्व मनाते समय किसी तरह की अप्रिय घटना न हो, इसके लिए पर्याप्त बंदोबस्त सुनिश्चित किए गए हैं। तीस पुलिस जवानों को टुकड़ियों में बांटा गया है, जो नियमित गश्त करेंगी।
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