सादगी-श्रद्धा से मनाया मकर संक्रांति पर्व

पर्यटन स्थल तत्तापानी में मकर संक्रांति पर गर्म पानी के चश्मों में नहाते श्रद्धालु।
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मंडी। कोरोना काल में छोटी काशी मंडी में मकर संक्रांति का पर्व सादगी से मनाया। मंदिरों में कोविड नियमों की पालना करते हुए श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहा। लोगों ने जप, तप, अनुष्ठान किया और दान भी किया। कई लोगों ने तुलादान भी करवाया।
इस बार मेलों का आयोजन नहीं किया गया। न ही खिचड़ी के भंडारे लगे। बाबा भूतनाथ मंदिर, एकादश रूद्र मंदिर, महामृत्युंजय मंदिर, भीमाकाली मंदिर, टारना माता, सिद्धकाली, चामुंडा काली, महाकाली, सिद्धभद्र, शिवशंभू, त्रोकड़ा माता और महिषासुरमर्दिनी मंदिर में श्रद्धालुओं ने शीश नवाकर सुख समृद्धि की कामना की। पर्व को लेकर बाजारों में भी दिनभर लोगों की भीड़ लगी रही। इस पर्व को लेकर जिलेभर में लोगों ने अपने-अपने घरों में खिचड़ी बनाई। मंजू, दिपाली, बबली, रवि, संगीता, मोनिका, राजकुमारी, शालिनी ने बताया कि लोहड़ी पर सुबह खिचड़ी बनाकर पूजा-अर्चना की गई। इस बार रिवालसर में स्नान करने नहीं जा सके।
एकादश रूद्र मंदिर के पुजारी सतसुंदरम ने बताया कि मंदिरों में संक्रांति पर खिचड़ी का विशेष भोग लगाया गया। इस दिन तिल का विशेष महत्व रहता है। इसके साथ चावल, उड़द, तिल भोगी, तिल पट्टी, मूंगफली, रेवड़ी बांटने की परंपरा निभाई जाती है।
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मंडी। कोरोना काल में छोटी काशी मंडी में मकर संक्रांति का पर्व सादगी से मनाया। मंदिरों में कोविड नियमों की पालना करते हुए श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहा। लोगों ने जप, तप, अनुष्ठान किया और दान भी किया। कई लोगों ने तुलादान भी करवाया।
इस बार मेलों का आयोजन नहीं किया गया। न ही खिचड़ी के भंडारे लगे। बाबा भूतनाथ मंदिर, एकादश रूद्र मंदिर, महामृत्युंजय मंदिर, भीमाकाली मंदिर, टारना माता, सिद्धकाली, चामुंडा काली, महाकाली, सिद्धभद्र, शिवशंभू, त्रोकड़ा माता और महिषासुरमर्दिनी मंदिर में श्रद्धालुओं ने शीश नवाकर सुख समृद्धि की कामना की। पर्व को लेकर बाजारों में भी दिनभर लोगों की भीड़ लगी रही। इस पर्व को लेकर जिलेभर में लोगों ने अपने-अपने घरों में खिचड़ी बनाई। मंजू, दिपाली, बबली, रवि, संगीता, मोनिका, राजकुमारी, शालिनी ने बताया कि लोहड़ी पर सुबह खिचड़ी बनाकर पूजा-अर्चना की गई। इस बार रिवालसर में स्नान करने नहीं जा सके।
एकादश रूद्र मंदिर के पुजारी सतसुंदरम ने बताया कि मंदिरों में संक्रांति पर खिचड़ी का विशेष भोग लगाया गया। इस दिन तिल का विशेष महत्व रहता है। इसके साथ चावल, उड़द, तिल भोगी, तिल पट्टी, मूंगफली, रेवड़ी बांटने की परंपरा निभाई जाती है।
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