लोहड़ी पर्व पर सुराड़ा से निकला राज मुशहरा की परिक्रमा
चंबा में लोहड़ी के पर्व पर रात के समय मशाल लेकर चलते युवक।
– फोटो : Chamba
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
ख़बर सुनें
चंबा। एतिहासिक शहर चंबा में लोहड़ी की आधी रात को सदियों से चली आ रही राज मुशहरा की परंपरा को निभाया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में मुशहरा में युवाओं ने भाग लिया। इस दौरान पुलिस बल भी तैनात रहा। आधी रात को सुराड़ा से राज मुशहरा युवाओं की टोली के साथ बैंडबाजा लेकर रवाना हुआ।
शहर की मढ़ी चौंतड़ा और सपड़ी में मुुशहरा ले जा रहे लोगों में छीनाझपटी भी हुई। हर साल यह परंपरा निभाई जाती है। इस दौरान पर्याप्त पुलिस बल भी तैनात रहा। पुलिस ने विभिन्न वार्डों में गश्त की और शरारती तत्वों पर नजर रखी। मुशहरा को उठाकर ले जाने वाले युवा जयकारे लगाते हुए आगे बढ़े।
गौरतलब है कि रियासत काल में इस घटना के दौरान एक खून माफ रहता था। बहरहाल, बदलते समय के साथ अब यह परंपरा छीनाझपटी तक सीमित हो गई है। हालांकि प्रशासन की ओर पुलिस की मौजूदगी में राज मुशहरा की परंपरा निभाई जाती है। नगर परिषद की ओर से विभिन्न मढ़ियों पर दो-दो हजार रुपये खर्च भी किया जाता है।
चंबा। एतिहासिक शहर चंबा में लोहड़ी की आधी रात को सदियों से चली आ रही राज मुशहरा की परंपरा को निभाया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में मुशहरा में युवाओं ने भाग लिया। इस दौरान पुलिस बल भी तैनात रहा। आधी रात को सुराड़ा से राज मुशहरा युवाओं की टोली के साथ बैंडबाजा लेकर रवाना हुआ।
शहर की मढ़ी चौंतड़ा और सपड़ी में मुुशहरा ले जा रहे लोगों में छीनाझपटी भी हुई। हर साल यह परंपरा निभाई जाती है। इस दौरान पर्याप्त पुलिस बल भी तैनात रहा। पुलिस ने विभिन्न वार्डों में गश्त की और शरारती तत्वों पर नजर रखी। मुशहरा को उठाकर ले जाने वाले युवा जयकारे लगाते हुए आगे बढ़े।
गौरतलब है कि रियासत काल में इस घटना के दौरान एक खून माफ रहता था। बहरहाल, बदलते समय के साथ अब यह परंपरा छीनाझपटी तक सीमित हो गई है। हालांकि प्रशासन की ओर पुलिस की मौजूदगी में राज मुशहरा की परंपरा निभाई जाती है। नगर परिषद की ओर से विभिन्न मढ़ियों पर दो-दो हजार रुपये खर्च भी किया जाता है।
0 Comments