न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Tue, 12 Jan 2021 09:07 PM IST
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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के वर्चुअल डिबेट में पाकिस्तान पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को महिमामंडित करने से बचना चाहिए और न ही इसे उचित ठहराना चाहिए। जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद, आतंकवाद होता है इसमें अगर और मगर की कोई गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए राजनीतिक इच्छा होनी चाहिए। विश्व को आतंकवाद को लेकर गंभीर होना चाहिए ताकि इस पर रोक लगाई जा सके। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और देशों में संगठित अपराध के बीच जुड़ाव की पहचान की जानी चाहिए और दृढ़ता से इसका समाधान किया जाना चाहिए।
विदेश मंत्री ने कहा कि हमने 1993 के मुंबई धमाके के लिए जिम्मेदार आपराधिक गिरोहों को राज्य का संरक्षण ही नहीं बल्कि पांच सितारा आतिथ्य सुविधाएं मिलते हुए भी देखा है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की पाबंदी के तहत लोगों और संगठनों के नाम सूची में शामिल करने और बाहर करने का काम निष्पक्षता के साथ होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में कानूनी परिचालन ढांचे की कमी है। वहीं कुछ देशों में आतंकवादी वित्तपोषण मामलों का पता लगाने, जांच करने और उन पर मुकदमा चलाने की तकनीकी विशेषज्ञता की भी कमी है। हालांकि कुछ देश ऐसे भी हैं जो आतंकवाद का समर्थन करते हैं और वित्तपोषण भी करते हैं।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के वर्चुअल डिबेट में पाकिस्तान पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को महिमामंडित करने से बचना चाहिए और न ही इसे उचित ठहराना चाहिए। जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद, आतंकवाद होता है इसमें अगर और मगर की कोई गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए राजनीतिक इच्छा होनी चाहिए। विश्व को आतंकवाद को लेकर गंभीर होना चाहिए ताकि इस पर रोक लगाई जा सके। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और देशों में संगठित अपराध के बीच जुड़ाव की पहचान की जानी चाहिए और दृढ़ता से इसका समाधान किया जाना चाहिए।
विदेश मंत्री ने कहा कि हमने 1993 के मुंबई धमाके के लिए जिम्मेदार आपराधिक गिरोहों को राज्य का संरक्षण ही नहीं बल्कि पांच सितारा आतिथ्य सुविधाएं मिलते हुए भी देखा है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की पाबंदी के तहत लोगों और संगठनों के नाम सूची में शामिल करने और बाहर करने का काम निष्पक्षता के साथ होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में कानूनी परिचालन ढांचे की कमी है। वहीं कुछ देशों में आतंकवादी वित्तपोषण मामलों का पता लगाने, जांच करने और उन पर मुकदमा चलाने की तकनीकी विशेषज्ञता की भी कमी है। हालांकि कुछ देश ऐसे भी हैं जो आतंकवाद का समर्थन करते हैं और वित्तपोषण भी करते हैं।
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