मासूम युवाओं की मौत के लिए ‘औजार’ हैं मादक पदार्थों के तस्कर: सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि इस समस्या ने गंभीर और खतरनाक रूप ले लिया है
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि मादक पदार्थ संबंधी कानून के मामले में सजा सुनाते समय समाज के मतभेदों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के नवंबर 2019 के फैसले के खिलाफ दायर अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के उस फैसले को कायम रखा था जिसमें एक किलोग्राम हेरोइन बरामद होने पर एक व्यक्ति को मादक पदार्थ संबंधी कानून के तहत दोषी ठहराते हुए 15 साल की कैद और दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी गयी थी।
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सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला कहीसर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि मादक पदार्थ संबंधी कानून के मामले में सजा सुनाते समय समाज के मतभेदों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
कोर्ट ने कहा, ” आरोपी की ओर से दी गयी दलीलों पर विचार करते समय … यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि हत्या के किसी मामले में, आरोपी एक या दो लोगों की हत्या करता है, जबकि मादक पदार्थों का कारोबार करने वाले लोग कई मासूम युवाओं की मौत का साधन होते हैं … इसका समाज पर घातक प्रभाव पड़ता है; वे समाज के लिए खतरा हैं। ”
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने पीठ के समक्ष दलील दी कि मादक पदार्थ संबंधी कानून की धारा 21 के अनुसार न्यूनतम सजा 10 साल है और अभियुक्त एक गरीब व्यक्ति है और पहली बार उसे दोषी ठहराया गया है।
राज्य की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि आरोपी के पास एक किलोग्राम हेरोइन मिला जो वाणिज्यिक मात्रा से बहुत अधिक है और न तो ट्रायल कोर्ट और न ही उच्च न्यायालय ने 15 साल की सजा दे कर कोई त्रुटि की है।
(डिस्क्लेमर: यह खबर सही सिंडीकेट ट्वीट से पब्लिश हुई है। इसे News18Hindi की टीम ने साझा नहीं किया है।)