बटसेरी गांव में शुरू हुआ उतरेनी मेला
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सांगला(किन्नौर)। कल्पा खंड के तहत सांगला के बटसेरी गांव में उतरेनी मेला मंगलवार मध्य रात्रि से शुरू हो गया है। यह मेला क्षेत्र में पांच दिन तक धूमधाम से मनाया जाएगा। मेले का शुभारंभ मध्य रात्रि से लोग 13 जनवरी से शुरू होने वाले नए साल के स्वागत के साथ करते हैं। इस दौरान दो नाबालिग किशोरों को ईष्ट देवता के रूप में नियुक्त किया जाता है।
हर वर्ष की तरह इस बार भी 12 जनवरी की मध्यरात्रि को ग्रामीण अपने ईष्ट देवता नारायण बद्री, नारायण विष्णु जी और तपोनारायण जी के देवालय में जमा हुए। दोनों देवताओं के स्वर्ग प्रवास से पूर्व ग्रामीण मंदिर में एक माह तक की सुख शांति को लेकर श्रद्धा अनुसार भेंट चढ़ा कर वाद्ययंत्रों की धुनों के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। वहीं इस मौके पर देवता दो नाबालिग किशोरों को चुन कर मेले की पूरी जिम्मेवारी उन्हें सौंप कर एक माह के लिए स्वर्ग प्रवास पर चले जाते हैं। मान्यता यह है की क्षेत्र के सभी देवी देवता मकर संक्रांति से एक रोज पूर्व स्वर्ग प्रवास को निकलते हैं। नारायण बद्री, नारायण विष्णु और देवता तपोनारायण के स्वर्ग प्रवास के बाद ग्रामीण देवताओं द्वारा चुने गए दो बालकों को ईष्ट देवता स्वरूप मानते हैं। इस दौरान देवस्वरूपी नाबालिग किशोरों को पारंपरिक परिधानों में सजाकर उनकी देखभाल के लिए एक महिला और पुरुष की नियुक्ति की जाती है। नए साल की मंगल कामना करने के साथ-साथ सभी लोग पूरे पांच दिन एक साथ भोजन करते हैं। बद्री नारायण मंदिर कमेटी के मोतमीन संजीव लोक्टस, माथास गोवर्धन शानटेशटो, कायथ भगवान सिंह रेपाल्टो और पुजारी साहिल दुध्यान ने बताया कि इस बार कोरोना महामारी के चलते सोशल डिस्टेंस बनाकर कम संख्या में ग्रामीण जुटकर इस पर्व को मना रहे हैं। विशेष पर्व को लेकर सभी तैयारियां पूरी की जा चुकी है।
सांगला(किन्नौर)। कल्पा खंड के तहत सांगला के बटसेरी गांव में उतरेनी मेला मंगलवार मध्य रात्रि से शुरू हो गया है। यह मेला क्षेत्र में पांच दिन तक धूमधाम से मनाया जाएगा। मेले का शुभारंभ मध्य रात्रि से लोग 13 जनवरी से शुरू होने वाले नए साल के स्वागत के साथ करते हैं। इस दौरान दो नाबालिग किशोरों को ईष्ट देवता के रूप में नियुक्त किया जाता है।
हर वर्ष की तरह इस बार भी 12 जनवरी की मध्यरात्रि को ग्रामीण अपने ईष्ट देवता नारायण बद्री, नारायण विष्णु जी और तपोनारायण जी के देवालय में जमा हुए। दोनों देवताओं के स्वर्ग प्रवास से पूर्व ग्रामीण मंदिर में एक माह तक की सुख शांति को लेकर श्रद्धा अनुसार भेंट चढ़ा कर वाद्ययंत्रों की धुनों के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। वहीं इस मौके पर देवता दो नाबालिग किशोरों को चुन कर मेले की पूरी जिम्मेवारी उन्हें सौंप कर एक माह के लिए स्वर्ग प्रवास पर चले जाते हैं। मान्यता यह है की क्षेत्र के सभी देवी देवता मकर संक्रांति से एक रोज पूर्व स्वर्ग प्रवास को निकलते हैं। नारायण बद्री, नारायण विष्णु और देवता तपोनारायण के स्वर्ग प्रवास के बाद ग्रामीण देवताओं द्वारा चुने गए दो बालकों को ईष्ट देवता स्वरूप मानते हैं। इस दौरान देवस्वरूपी नाबालिग किशोरों को पारंपरिक परिधानों में सजाकर उनकी देखभाल के लिए एक महिला और पुरुष की नियुक्ति की जाती है। नए साल की मंगल कामना करने के साथ-साथ सभी लोग पूरे पांच दिन एक साथ भोजन करते हैं। बद्री नारायण मंदिर कमेटी के मोतमीन संजीव लोक्टस, माथास गोवर्धन शानटेशटो, कायथ भगवान सिंह रेपाल्टो और पुजारी साहिल दुध्यान ने बताया कि इस बार कोरोना महामारी के चलते सोशल डिस्टेंस बनाकर कम संख्या में ग्रामीण जुटकर इस पर्व को मना रहे हैं। विशेष पर्व को लेकर सभी तैयारियां पूरी की जा चुकी है।
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