अमर उजाला नेटवर्क, शिमला
Updated Tue, 12 Jan 2021 01:14 PM IST
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हिमाचल प्रदेश चुनाव आयोग ने चुनाव अधिकारी की कोताही पर कड़ा नोटिस लिया है। चुनाव अधिकारी पर प्रत्याशियों के नामांकन गलत तरीके से रद्द करने का आरोप है। मामला चुनाव आयोग के संज्ञान में लाया गया है। इतना ही नहीं, पंचायत प्रतिनिधि को निर्विरोध घोषित कर दिया गया, जबकि संबंधित पंचायत में प्रधान पद के लिए अभी तक चुनाव नहीं हुआ है। शिमला जिले के चुनाव पर्यवेक्षक ने भी इस गंभीर मामले में चुनाव आयोग को रिपोर्ट सौंप दी है। राज्य चुनाव आयोग के अधिकारियों के अनुसार शिमला के टुटू क्षेत्र की एक पंचायत में चुनाव अधिकारी की कोताही नामांकन पत्रों की छंटनी के समय सामने आई है। उक्त चुनाव अधिकारी ने पंचायत को निर्विरोध घोषित करने के लिए यह कारनामा किया है। जिन प्रत्याशियों के नामांकन छोटी-छोटी त्रुटियों को लेकर रद्द किए गए, उन्होंने यह मामला पहले चुनाव पर्यवेक्षक से उठाया। इसके बाद चुनाव आयोग के सामने रखा।
इसके बाद चुनाव पर्यवेक्षक ने संबंधित चुनाव अधिकारी से पूरे दस्तावेज मांगकर छानबीन की। इसमें यह बात सामने आई है कि जो नामांकनपत्र रद्द किए हैं, उनके पीछे कोई बड़े कारण नहीं थे। जैसे गीता देवी के नाम गीता लिखा है देवी नहीं। इस कारण नामांकन रद्द कर दिया। एक प्रत्याशी का नाम सही था, लेकिन पिता का नाम सही नहीं था। वोटर लिस्ट से मिलान से साफ होता है कि नामांकन पत्र भरने वाला वही प्रत्याशी है। इस तरह कई नामांकनपत्र रद्द कर दिए गए। उपप्रधान पद पर भी एक ही उम्मीदवार रखा गया, ताकि टुटू क्षेत्र की पंचायत को निर्विरोध घोषित किया जा सके, जबकि प्रधान का चुनाव हुआ नहीं है। शिमला के चुनाव पर्यवेक्षक अश्वनी ने कहा कि इस मामले में छानबीन कर चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेजी गई है। अब आयोग ही कार्रवाई करेगा।
हिमाचल प्रदेश चुनाव आयोग ने चुनाव अधिकारी की कोताही पर कड़ा नोटिस लिया है। चुनाव अधिकारी पर प्रत्याशियों के नामांकन गलत तरीके से रद्द करने का आरोप है। मामला चुनाव आयोग के संज्ञान में लाया गया है। इतना ही नहीं, पंचायत प्रतिनिधि को निर्विरोध घोषित कर दिया गया, जबकि संबंधित पंचायत में प्रधान पद के लिए अभी तक चुनाव नहीं हुआ है। शिमला जिले के चुनाव पर्यवेक्षक ने भी इस गंभीर मामले में चुनाव आयोग को रिपोर्ट सौंप दी है। राज्य चुनाव आयोग के अधिकारियों के अनुसार शिमला के टुटू क्षेत्र की एक पंचायत में चुनाव अधिकारी की कोताही नामांकन पत्रों की छंटनी के समय सामने आई है। उक्त चुनाव अधिकारी ने पंचायत को निर्विरोध घोषित करने के लिए यह कारनामा किया है। जिन प्रत्याशियों के नामांकन छोटी-छोटी त्रुटियों को लेकर रद्द किए गए, उन्होंने यह मामला पहले चुनाव पर्यवेक्षक से उठाया। इसके बाद चुनाव आयोग के सामने रखा।
इसके बाद चुनाव पर्यवेक्षक ने संबंधित चुनाव अधिकारी से पूरे दस्तावेज मांगकर छानबीन की। इसमें यह बात सामने आई है कि जो नामांकनपत्र रद्द किए हैं, उनके पीछे कोई बड़े कारण नहीं थे। जैसे गीता देवी के नाम गीता लिखा है देवी नहीं। इस कारण नामांकन रद्द कर दिया। एक प्रत्याशी का नाम सही था, लेकिन पिता का नाम सही नहीं था। वोटर लिस्ट से मिलान से साफ होता है कि नामांकन पत्र भरने वाला वही प्रत्याशी है। इस तरह कई नामांकनपत्र रद्द कर दिए गए। उपप्रधान पद पर भी एक ही उम्मीदवार रखा गया, ताकि टुटू क्षेत्र की पंचायत को निर्विरोध घोषित किया जा सके, जबकि प्रधान का चुनाव हुआ नहीं है। शिमला के चुनाव पर्यवेक्षक अश्वनी ने कहा कि इस मामले में छानबीन कर चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेजी गई है। अब आयोग ही कार्रवाई करेगा।
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