दिल्ली सरकार ने अपने किसानों के लिए कुछ नहीं किया खास, बारिश से नरेला अनाज मंडी में 10 से 15 प्रतिशत अनाज बर्बाद
आदित्य पाण्डेय, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Tue, 12 Jan 2021 01:43 AM IST
नरेला अनाज मंडी में खुले आसमान के नीचे पड़ा अनाज
– फोटो : amar ujala
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
ख़बर सुनें
दूसरे राज्यों की अपेक्षा दिल्ली में कृषि और किसानों के लिये सरकार को ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि दिल्ली में खेती किसानी की संभावनाएं बाकी राज्यों की अपेक्षा सिमटकर कम हो गई हैं। लेकिन दिल्ली में कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) है और एपीएमसी में सैकड़ों अधिकारी, कर्मचारी काम करते हैं।
नरेला अनाज मंडी की कार्य व्यवस्था संचालित करने व यहां जरूरतों को पूरा कराने के लिये नरेला एपीएमसी भी है। लेकिन केवल नाम के लिये। नरेला अनाज मंडी के आढ़तियों की शिकायत है कि नरेला एपीएमसी में उनकी समस्यायें सुनने वाला कोई नहीं है। नरेला एपीएमसी के इस तरह गैर जिम्मेदाराना रवैय्ये के कारण यहां अराजकता, अव्यवस्था और गंदगी की भरमार है।
चार साल से कोई विकास कार्य नहीं हुआ
नरेला अनाज मंडी में चार साल से कोई विकास कार्य नहीं हुआ। मौजूदा दिल्ली सरकार ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की निगरानी में यहां चार साल पहले चार शेड बनवाए थे, कुछ जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए थे। मुख्यमंत्री ने इन शेडों का उद्घाटन कार्यक्रम में कहा था कि जल्द ही यहां पर और शेडों की संख्या बढ़ाएंगे। नरेला मंडी के आढ़तियों की मानें तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का वादा हवाहवाई साबित हुआ। यहां पर कम से कम 20 शेडों की आवश्यकता है।
इससे पहले की सरकारों ने भी अनदेखी की
दिल्ली की सरकारों ने नरेला अनाज मंडी की उपेक्षा की। ऐसा ना होता तो इतने सालों बाद नरेला अनाज मंडी में कम से कम शेड तो बन ही गए होते। इतने बड़े क्षेत्रफल में फैली नरेला अनाज मंडी में केवल खुला मैदान है। जहां बरसात होने पर फसलो का बर्बाद होना तय है। नरेला अनाज मंडी के सचिव पीके कौशिक कहते हैं कि वह यहां पर केवल नाम के लिये बैठाए गए हैं। उनके हाथ में नरेला अनाज मंडी में कोई भी विकास कार्य कराने की ताकत नहीं है।
[ad_2]
Source link
0 Comments