कोरोना टेस्ट करवाने आए लोगों की जान से खिलवाड़
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धर्मशाला। कोरोना अस्पताल धर्मशाला लगातार विवादों में चल रहा है। अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों को अच्छा खाना न मिलने की शिकायतों के वायरल वीडियो के बाद अब टेस्टिंग में भी लापरवाही के आरोप लगे हैं। बुधवार को कोरोना अस्पताल धर्मशाला के बाहर रैपिड टेस्ट करवाने आए लोगों ने स्वास्थ्य विभाग पर उनकी जान के साथ खिलवाड़ के आरोप लगाए। लोगों ने आरोप लगाया कि रैपिड टेस्ट करवाते समय स्वास्थ्य विभाग की ओर से उनको रिस्क में डाला गया। जिस कुर्सी पर बिठाकर उनके सैंपल लिए जा रहे थे, उस कुर्सी को एक बार भी सैनिटाइज नहीं किया गया। उस कुर्सी पर बैठाकर लिए गए सैंपलों में कई मरीज पॉजिटिव आए। अगर उस कुर्सी पर पॉजिटिव मरीज से फैले वायरस से स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित हो गया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। अब उस कुर्सी पर बैठकर सैंपल देने वाले निगेटिव आए मरीज परेशान हो गए हैं कि कहीं पॉजिटिव लोगों की वजह से वे संक्रमित न हो गए हों। टेस्ट से पहले और बाद में कुर्सी को सैनिटाइज करने की तो दूर की बात, उनके हाथ तक सैनिटाइज नहीं करवाए गए। रैपिड टेस्ट में सैंपल नाक से लिए गए। नाक से सैंपल लेते समय छींक आना स्वाभाविक है। छींकते समय हवा में उनके मुंह से थूक की बूंदें गिर रही थीं। यह सैंपल जल्दी जल्दी लिए जा रहे थे। अगर पॉजिटिव मरीजों से वायरस हवा में रहा होगा तो निगेटिव रहे मरीजों की जान भी आफत में पड़ सकती है। टेस्ट करवाने आए लोगों ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग की यह सरासर लापरवाही है। उधर, सीएमओ कांगड़ा जीडी गुप्ता ने बताया कि कोविड-19 के सैंपल लेते समय केंद्र सरकार की गाइडलाइंस का ध्यान रखा जाता है। मरीजों को बिठाने वाली कुर्सी को एक ही जगह रखना और उसे सैनिटाइज नहीं करने से क्या आम मरीज संक्रमित नहीं हो सकते, इस सवाल पर सीएमओ संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।
धर्मशाला। कोरोना अस्पताल धर्मशाला लगातार विवादों में चल रहा है। अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों को अच्छा खाना न मिलने की शिकायतों के वायरल वीडियो के बाद अब टेस्टिंग में भी लापरवाही के आरोप लगे हैं। बुधवार को कोरोना अस्पताल धर्मशाला के बाहर रैपिड टेस्ट करवाने आए लोगों ने स्वास्थ्य विभाग पर उनकी जान के साथ खिलवाड़ के आरोप लगाए। लोगों ने आरोप लगाया कि रैपिड टेस्ट करवाते समय स्वास्थ्य विभाग की ओर से उनको रिस्क में डाला गया। जिस कुर्सी पर बिठाकर उनके सैंपल लिए जा रहे थे, उस कुर्सी को एक बार भी सैनिटाइज नहीं किया गया। उस कुर्सी पर बैठाकर लिए गए सैंपलों में कई मरीज पॉजिटिव आए। अगर उस कुर्सी पर पॉजिटिव मरीज से फैले वायरस से स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित हो गया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। अब उस कुर्सी पर बैठकर सैंपल देने वाले निगेटिव आए मरीज परेशान हो गए हैं कि कहीं पॉजिटिव लोगों की वजह से वे संक्रमित न हो गए हों। टेस्ट से पहले और बाद में कुर्सी को सैनिटाइज करने की तो दूर की बात, उनके हाथ तक सैनिटाइज नहीं करवाए गए। रैपिड टेस्ट में सैंपल नाक से लिए गए। नाक से सैंपल लेते समय छींक आना स्वाभाविक है। छींकते समय हवा में उनके मुंह से थूक की बूंदें गिर रही थीं। यह सैंपल जल्दी जल्दी लिए जा रहे थे। अगर पॉजिटिव मरीजों से वायरस हवा में रहा होगा तो निगेटिव रहे मरीजों की जान भी आफत में पड़ सकती है। टेस्ट करवाने आए लोगों ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग की यह सरासर लापरवाही है। उधर, सीएमओ कांगड़ा जीडी गुप्ता ने बताया कि कोविड-19 के सैंपल लेते समय केंद्र सरकार की गाइडलाइंस का ध्यान रखा जाता है। मरीजों को बिठाने वाली कुर्सी को एक ही जगह रखना और उसे सैनिटाइज नहीं करने से क्या आम मरीज संक्रमित नहीं हो सकते, इस सवाल पर सीएमओ संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।
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