कानून से ज्यादा धर्मार्थ नहीं कर सकती अदालत, ग्रेस मार्क की मांग संबंधी याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने की टिप्पणी
अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Updated Tue, 12 Jan 2021 12:04 AM IST
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हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत कानून से ज्यादा धर्मार्थ नहीं कर सकती, क्योंकि कानून से परे धर्मार्थ दूसरों के साथ क्रूरता है। अदालत ने यह टिप्पणी दो छात्रों की उस याचिका को खारिज करते हुए जिसमें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) को उन्हें ग्रेस-मार्क देने का निर्देश देने का आग्रह किया था।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल व न्यायमूर्ति ज्योति की सिंह की खंडपीठ ने सिंगल जज के उनको ग्रास मार्क मांग संबंधी याचिका को खारिज करने संबंधी फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि इसमें कोई त्रुटि नहीं है। खंडपीठ ने कहा कि कोई नियम या कानून नहीं है जो छात्रों को उनकी परीक्षा में असफल होने के बाद ग्रेस अंक देने की अनुमति देता हो।
छात्रों ने विश्वविद्यालय को उनके जीव विज्ञान परीक्षा में ग्रेस मार्क्स देने का निर्देश देने का आग्रह किया था। दरअसल वे ग्रेस मार्क्स की मांग इस कारण कर रहे है क्योंकि दोनों ने दिल्ली यूनिवर्सिटी की एलएलबी प्रवेश परीक्षा में क्वालिफाई किया था, लेकिन अपने फाइनल ईयर बायोलॉजी एग्जाम में क्वालिफाई नहीं किया था। इसी कारण उन्हें दाखिला नहीं मिल सका। हाईकोर्ट के सिंगल जज ने 25 नवंबर को उनकी याचिका खारिज कर दी थी। छात्रों ने इसी फैसले को खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी।
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